ज़ुल्फ़-अंगडाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब
ज़ुल्फ़-अंगडाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब
भुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इनका शबाब
पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी
इस अहद* में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की क़िताब
इस सदी की तिश्नगी* का ज़ख़्म होंठों पर लिए
बेयक़ीनी के सफ़र में ज़िंदगी है इक अजाब*
डाल पर मज़हब* की पैहम* खिल रहे दंगों के फूल
सभ्यता रजनीश के हम्माम* में है बेनक़ाब
चार दिन फुटपाथ के साये में रहकर देखिए
डूबना आसान है आँखों के सागर में जनाब
* अहद - समय, काल
* तिश्नगी - प्यास, इच्छा
*अजाब - अजनबी
* मजहब - धर्म
*पैहम - लगातार, साथ-साथ
* हम्माम - स्नानागार,
* अहद - समय, काल
* तिश्नगी - प्यास, इच्छा
*अजाब - अजनबी
* मजहब - धर्म
*पैहम - लगातार, साथ-साथ
* हम्माम - स्नानागार,
अदम गोंडवी
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