Wednesday 28 October 2015

अदम गोंडवी - ज़ुल्फ़-अंगडाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब

ज़ुल्फ़-अंगडाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब

ज़ुल्फ़-अंगडाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब 
भुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इनका शबाब 

पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी 
इस अहद* में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की क़िताब 

इस सदी की तिश्नगी* का ज़ख़्म होंठों पर लिए 
बेयक़ीनी के सफ़र में ज़िंदगी है इक अजाब*

डाल पर मज़हब* की पैहम* खिल रहे दंगों के फूल 
सभ्यता रजनीश के हम्माम* में है बेनक़ाब

चार दिन फुटपाथ के साये में रहकर देखिए 
डूबना आसान है आँखों के सागर में जनाब

*
अहद -  समय, काल
*
तिश्नगी - प्यास, इच्छा
*
अजाब - अजनबी
*
मजहब - धर्म
*
पैहम - लगातार, साथ-साथ
*
हम्माम - स्नानागार,


अदम गोंडवी 

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