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1
चला जाता हूँ हँसता-खेलता मौजे-हवादिस* से
अगर आसानियाँ हों जिन्दगी दुश्वार हो जाये
मौजे-हवादिस – दुर्घटनाओं या हादसों की लहरें या तरंगें
Chala jaata hun
hansta-khelta mauje-hawadis se
Agar aasaniyan hon
zindagi dushwaar ho jaaye
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2
यहाँ तो उम्र गुजरी है मौजे- तलातुम* में
वो कोई और होंगे सैरे-साहिल* देखने वाले
मौजे-तलातुम - तूफानी लहरों के बीच
सैरे-साहिल - किनारे की सैर
Yahn to umar gujari hai
mauje-talaatum mein
Wo koi aur honge
sair-e-saahil dekhne waale
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3
बुलबुलो-गुल पै जो गुजरी हमको उससे क्या गरज
हम तो गुलशन में फकत रंगे - चमन देखा किए
Bulbulo-gul pe jo gujari
hamko usse kya garaz
Ham to gulshan mein fakat
range-chaman dekha kiye
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4
जीना भी आ गया, मुझे मरना भी आ गया
पहचान ने लगा हूँ, तुम्हारी नजर को मैं
Jeena bhee aa gaya, mujhe
marna bhi aa gaya
Pehchaan ne laga hun,
tumhari nazar ko main
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5
दास्ताँ उन की अदाओं की है रंगीं लेकिन
इस में कुछ ख़ून-ए-तमन्ना भी है शामिल अपना
Daastan un ki adaaon ki
hai rangeen lekin
Is mein kuchh
khoon-e-tamnna bhi hai shaamil apna
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6
इक अदा इक हिजाब इक शोख़ी
नीची नज़रों में क्या नहीं होता
Ik ada ik hijaab ik
shokhi
Neechi nazron mein kya
nahin hota
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7
मैं क्या कहूँ कहाँ है मोहब्बत कहाँ नहीं
रग रग में दौड़ी फिरती है नश्तर लिए हुए
Main kya kahoon kahan hai
mohabbat kahan nahi
Rag rag mein daudti firti
hai nashtar liye
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8
नहीं दैर* ओ हरम* से काम हम उल्फ़त* के बंदे हैं
वही काबा है अपना आरज़ू दिल की जहाँ निकले
दैर = मंदिर
हरम = मक्का का पवित्र क्षेत्र
उल्फत = प्यार, दोस्ती
Nahin dair o harmse kaam
ham ulfat ke bande hain
Wahi kaaba hai apna
aarjoo dil ki jahan nikale
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9
नियाज़-ए-इश्क़* को समझा है क्या ऐ वाइज़-ए-नादाँ*
हज़ारों बन गए काबे जबीं मैं ने जहाँ रख दी
नियाज़-ए-इश्क़ = प्यार की प्रार्थना
वाइज़-ए-नादाँ = बेवकूफ उपदेशक
जबीं = माथा
Niyaaz-e-ishq ko samjha
hai kya waaiz-e-naadan
Hazaaron ban gaye kaabe
jabeen main ne jahan rakh di
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10
न कुछ फ़ना* की ख़बर है न है बक़ा* मालूम
बस एक बे-ख़बरी है सो वो भी क्या मालूम
फना = मृत्यु, विनाश
बका = अमरता, स्थायित्व
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