Wednesday, 28 October 2015

अदम गोंडवी - जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में

जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में 

जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में 
गाँव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में 

बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई 
रमसुधी की झोपड़ी सरपंच की चौपाल में

खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए 
हमको पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में

जिसकी क़ीमत कुछ हो इस भीड़ के माहौल में 
ऐसा सिक्का ढालिए मत जिस्म की टकसाल में

अदम गोंडवी 


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