*****
1
वह अफसाना जिसे अंजाम तक, लाना न हो मुमकिन
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर, छोड़ना अच्छा
Wah afsana jise anjm tak,
laana na ho mumkin
Use ek khoobsurat mod
dekar, chhodna achchha
*****
2
अपनी तबाहियों का मुझे कोई गम नहीं
तुमने किसी के साथ मुहब्बत निभा तो दी
Apni tabahiyon ka mujhe
koi gham nahin
Tumne kisi ke saath
mohabbat nibha to di
*****
3
गर जिंदगी में मिल गए फिर इत्तफाक से
पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम
Gar zindgi mein mil gaye
phir ittfaak se
Poonchhenge apna haal
teri bebasi se hum
*****
4
मैं पल दो पल शायर हूं पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है पल दो पल मेरी जवानी है
Mian pal do pal ka shayar
hoon pal do pal meri kahani hai
Pal do pal meri hasti hai
pal do pal meri jawani hai
*****
5
याद मिटती है न मंजर कोई मिट सकता है
दूर जाकर भी तुम अपने को यहीं पाओगी
Yaad mitati hai na manzar
koi mit sakta hai
Door jaakar bhi tum apne
aap ko yahan paaogi
*****
6
जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग
Jab bhi jee chaahe nai
duniya basa lete hain log
Ek chehare pe kai chehare
laga lete hai log
*****
7
कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया
Kabhi khud pe, kabhi
haalaat pe rona aaya
Baat nikali to har ek
baat pe rona aaya
*****
8
इश्क क्या चीज है यह पूछिये परवाने से
जिन्दगी जिसको मयस्सर हुई मर जाने के बाद
Ishq kya cheez hai yah poochhiye parwaane se
Zindagi jisko mayssar hui mar jaane ke baad
*****
9
अभी जिन्दा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ खल्वत में
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने
(खल्वत - एकान्त, तन्हाई, जहाँ कोई दूसरा न हो)
Abhi zinda hun lekin sochta rehata hun khalwat mein
Ki ab tak kis tamnna ke sahaare jee liya maine
*****
10
उम्र भर रेंगते रहने से तो बेहतर है
एक लम्हा जो तेरी रूह में वुसअत भर दे
(वुसअत - शक्ति, ताकत, सामर्थ्य, उदारता)
8
इश्क क्या चीज है यह पूछिये परवाने से
जिन्दगी जिसको मयस्सर हुई मर जाने के बाद
Ishq kya cheez hai yah poochhiye parwaane se
Zindagi jisko mayssar hui mar jaane ke baad
*****
9
अभी जिन्दा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ खल्वत में
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने
(खल्वत - एकान्त, तन्हाई, जहाँ कोई दूसरा न हो)
Abhi zinda hun lekin sochta rehata hun khalwat mein
Ki ab tak kis tamnna ke sahaare jee liya maine
*****
10
उम्र भर रेंगते रहने से तो बेहतर है
एक लम्हा जो तेरी रूह में वुसअत भर दे
(वुसअत - शक्ति, ताकत, सामर्थ्य, उदारता)
*****
11
तुम मुझे भूल भी जाओ तो यह हक है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है
Tum mujhe bhool bhi
jaaoto yah haq hai tumko
Meri baat aur hai maine
to muhabbat ki hai
*****
12
तुम मेरे लिए कोई इल्जाम न ढूँढ़ो
चाहा था तुम्हे, यही इल्जाम बहुत है
Tum mere liye koi ilzaam
na dhoondho
Chaaha tha tumhein, yahi
ilzaam bahut hai
*****
13
तेरे दामन में गुलिस्तां भी है वीराने भी
मेरा हासिल, मेरी तकदीर, बता दे मुझको
1.हासिल - उपलब्ध, दस्तयाव, प्राप्ति
Tere daaman mein gulista
bhi hai veerane bhi
Mera haasil, meri
taqdeer, bata de mujhko
*****
14
पास जायें तो होश खो बैठें
दूर रहिए तो जाँ पै बनती है
Paas jaayein to hosh kho
baithein
Door rahiye to jaan pe
banti hai
*****
15
फिर न कीजे मेरी गुस्ताख निगाहों का गिला
देखिये अपने फिर प्यार से देखा मुझको
Phir na kije meri
gustaakh nigaahon ka gila
Dekhiye aapne phir pyaar
se dekha mujhko
*****
16
मेरी जान तुझ पै सदके, एहसान इतना कर दो
मेरी जिन्दगी में अपनी चाहत का रंग भर दो
Meri jaan tujh pe sadke,
ehsaan itna kar do
Meri zindagi mein apni
chaahat ka rang bhar do
*****
17
मेरे ख्वाबों के झरोखों को सजाने वाली
तेरे ख्वाबों में कहीं मेरा गुजर है कि नहीं
Mere khwaabon ke jhrokhon
ko sazaane waali
Tere khwaabon mein kahi
mera gujar hai ki nahin
*****
18
मैं देखूँ तो सही यह दुनिया तुझे कैसे सताती है
कोई दिन के लिए तुम अपनी निगहबानी मुझे दे दो
(निगहबानी - देखरेख, संरक्षण)
Main dekhoon to sahi yah
duniya tujhe kaise sataati hai
Koi din ke liye tum apni
nigahbaani mujhe de do
*****
19
यह माना किसी काबिल नहीं हूँ इन निगाहों में
बुरा क्या है अगर इस दिल की वीरानी मुझे दे दो
Yah mana kisi qaabil
nahin hun in nigaahon mein
Bura kya hai agar is dil
ki veerani mujhe de do
*****
20
लो आज हमने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम
(रिश्ता - डोरा, तागा,सम्बन्ध, नाता, लगाव)
*****
21
उन्हें अपना
नहीं
सकता
मगर
इतना
भी
क्या
कम
है
कि कुछ
मुद्दत
हसीं
ख्वाबों में
खोकर
जी
लिया
मैंने
Unhein
apna nahin sakta magar itna bhi kya kam hai
Ki kuchh
muddat haseen khwaabon mein khokar jee liya maine
*****
22
उभरेंगे एक
बार
अभी
दिल
के
वलवले
गो दब
गए
हैं
बारे-गमे-जिन्दगी से
हम
(वलवला - उत्साह, हौसला,
उम्मीद;
बार
- बोझ,
भार,
वजन)
Ubhrenge
ek baar abhi dil ke walwale
Go dab
gaye hain baare-gham-zindagi se hum
*****
23
उम्मीद वक्त
का
सबसे
बड़ा
सहारा
है
गर हौसला
है
तो
हर
मौज
में
किनारा
है
Ummeed
waqt ka sabse bada sahara hai
Gar
hausala hai to har mauj mein kinaara hai
*****
24
ऐ गमे-दुनिया तुझे क्या
इल्म
तेरे
वास्ते
किन बहानों
से
तबिअत
राह
पे लाई गई
(इल्म - ज्ञान, जानकारी, विद्या)
E
gham-e-duniya tujhe kya ilm tere waaste
Kin
bahaano se tabiyat raah pe laai gai
*****
25
तंग आ
चुके
हैं
कशमकशे-जिन्दगी से हम
ठुकरा न
दें
जहाँ
को
कहीं
बेदिली
से
हम
(कशमकश- खींचातानी, आपाधापी)
Tang aa
chuke hain kashmkash-e-zindagi se hum
Thukra na
dein jahan ko kahin bedili se hum
*****
26
देखा है
जिन्दगी को
कुछ
इस
करीब
से
चेहरे तमाम
लगने
लगे
हैं,
अजीब
से
Dekha hai
zindagi ko kuchh is kareeb se
Chehare
tamaam lagne lage hain, ajeeb se
*****
27
न कोई जादा,
न
मंजिल,
न
रौशनी,
न
सुराग
भटक रही है
खलाओं
में
जिन्दगी मेरी
(जादा - रास्ता, पथ;
खला
- फिजा,अंतरिक्ष, रिक्त)
Na koi
jaada, na manzil, na raushani, na suraag
Bhatak
rahi hai khalaaon mein zindagi
*****
28
नई दुनिया में
कुछ
बीते
दिनों
के
भी
निशाँ
होंगे
अजाइबखानों में रखेंगे, दीनों
को
ईमानों
को
(दीन - धर्म, मजहब;
ईमान
- ईमानदारी, अकीदा)
Nai duniya
mein kuchh beete dino ke bhi nishaan honge
Ajaaibkhaanon
mein rakhenge, deeno ko imaano ko
*****
29
हयात एक मुस्तकिल गम के सिवाय कुछ भी नहीं शायद
खुशी भी याद आती है तो आंसू बन के आती है
(हयात – जिन्दगी; मुस्तकिल - स्थायी, निरन्तर, लगातार)
Hayaat ek mustkil gham ke
siwaay kuchh bhi nahin shaayad
Khushi bhi yaad aati hai
to aansoo ban ke aati hai
*****
30
हजार बर्क गिरें, लाख आंधियां उठे
वह फूल खिल के रहेंगे, जो खिलने वाले हैं
(बर्क - बिजली)
*****
31
बे पिए ही शराब से नफरत
ये ज़हालत* नहीं तो फिर क्या है
(जहालत = अशिक्षा, अज्ञानता)
(जहालत = अशिक्षा, अज्ञानता)
Be piye hi sharaab se
nafrat
Ye zahaalat nahin to phir
kya hai
****
32
ले दे के फकत अपने पास इक नज़र तो है
क्यूँ देखे ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
Le de ke faqat apne paas
ik nazar to hai
Kyun dekhe zindagi ko
kisi ki nazar se ham
*****
33
दिल के मुआमले में नतीजे की फ़िक्र क्या
आगे है इश्क़ जुर्म-ओ-सजा के मकाम से
Dil ke muaamale mein
nateeje ki fiqr kya
Aage hai ishq jurm-o-saza
ke maqaam se
*****
34
इस तरह ज़िन्दगी ने दिया है हमारा साथ
जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से
(रक़ीब = दुश्मन)
(रक़ीब = दुश्मन)
Is tarah zindagi ne diya
hai humara saath
Jaise koi nibaah raha ho
raqeeb se
*****
35
कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
Kaun rota hai kisi aur ki
khaatir ae dost
Sab ko apni hi kisi baat
pe rona aaya
*****
36
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदों
बहुत दुःख सह लिए मैंने बहुत दिन जी लिया मैंने
Bas ab to daaman-e-dil chhod do bekaar ummeedon
Bahut dukh sah liye maine bahut din jee liya maine
*****
37
मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए
अपनों से पेश आए है बेगानगी से हम
36
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदों
बहुत दुःख सह लिए मैंने बहुत दिन जी लिया मैंने
Bas ab to daaman-e-dil chhod do bekaar ummeedon
Bahut dukh sah liye maine bahut din jee liya maine
*****
37
मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए
अपनों से पेश आए है बेगानगी से हम
(मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत = प्यार के परिणाम का दुःख)
Maayusi-e-maaal-e-mohabbt
na poochhiye
Apno se pesh aaye hai
begaangi se ham
*****
38
तंग आ चुके है कश्मकश-ए-ज़िन्दगी से हम
ठुकरा न दे जहाँ को कही बे-दिली से हम
Tang aa chuke hai
kashmkash-e-zindagi se ham
Thukra na de jahan ko
kahi be-dili se ham
*****
39
वैसे तो तुम्ही ने मुझे बर्बाद किया है
इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा
Vaise to tumhi ne mujhe
barbaad kiya hai
Ilzaam kisi aur ke sar
jaaye to achha
*****
40
यूँही दिल ने चाहा था रोना रुलाना
तिरी याद तो बन गई इक बहाना
*****
41
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
(नशात = ख़ुशी; महव-ए-यास = दुःख में खोना)
Chand kaliyaan nashaat ki
chun kar muddaton mahav-e-yaas rehata hun
Tera milana khushi ki
baat sahi tujh se mil kar udaas rehati hun
*****
42
तुझ को खबर नहीं मगर इक सादा-लौह को
बर्बाद कर दिया तेरे दो दिन के प्यार ने
(सादा-लौह = बेवकूफ)
Tujh ko khabar nahin
magar ik saada-lauh ko
Barbaad kar diya tere do
din ke pyaar ne
*****
43
मोहब्बत तर्क की मैंने गिरेबाँ सी लिया मैंने
ज़माने अब तो खुश हो यह ज़हर भी पि लिया मैंने
(तर्क = त्यागना, छोड़ना)
Mohabbat tarq ki maine
girebaan see liya maine
Zamaane ab to khush ho
yah zahar bhi pee liya maine
*****
44
इस रेंगती हयात का कब तक उठाए बार
बीमार अब उलझने लगे है तबीब से
(हयात = ज़िन्दगी; तबीब = डॉक्टर)
Is rengati hayaat ka kab
tak uthaaye baar
Beemar ab uljhane lage
hai tabeeb se
*****
45
अभी जिन्दा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ खल्वत में
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने
(खल्वत = एकांत)
Abhi zinda hun lekin
sochta rehta hun khalwat mein
Ki ab taq kis tamnna ke
sahaare jee liya maine
*****
46
किस दर्ज़ा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िन्दगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके
(दिल-शिकन = दिल तोड़ने वाले)
Kis darza dil-shiqan the
mihabbat ke haadse
Hum zindagi mein phir koi
armaan na kar sake
*****
47
उनके रुखसार पर ढलकते हुए आँसू तौबा
मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा
(रुखसार = गाल; शबनम = ओस)
Unke rukhsaar par dhalkte
hue aansoo tauba
Maine shabnam ko bhi
sholon pe machalte dekha
*****
48
जान-ए-तन्हा पे गुजर जाएँ हज़ारों सदमे
आँख से अश्क़ रवाँ हो ये जरुरी तो नहीं
(अश्क़ = आंसू, रवाँ = जीवंत)
Jaan-e-tanha pe gujar
jaayen hazaaron sadme
Aankh se ashq rawan ho ye
jaruri to nahin
*****
49
लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
लो अब कभी किसी से गिला न करेंगे हम
(गिला = शिकायत)
Lo aaj hum ne tod diya
rishta-e-ummeed
Lo ab kabhi kisi se gila
na karenge hum
*****
50
दुनिया में तजरबात ओ हवादिस की शक्ल में
जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं
(तजरबात = तजुर्बा, अनुभव; हवादिस = दुर्घटना, आपदा)
*****
51
कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है
Kaun kehata hai muhabbat
ki jubaan hoti hai
Ye haqiqat to nigaahon se
bayyn hoti hai
*****
52
ज़िन्दगी एक सुलगती सी चिता है “साहिर”
शोला बनती है ना ये बुझ के धुआँ होती है
Zindagi ek sulagti si
chita hai "Sahir"
Shola banti hai na ye
bujh ke dhuaa hoti hai
*****
53
तेरे बचपन को जवानी की दुआ देती हूँ
और दुआ दे के परेशान सी हो जाती हूँ
Tere bachpan ko jawani ki
dua deti hoon
Aur dua de ke pareshan si
ho jati hoon
*****
54
तआरूफ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर
तअल्लुक बोझ बन जाये तो उसको छोड़ना अच्छा
(तआरूफ = परिचय, जान-पहचान; तअल्लुक = संबंध, संपर्क)
Taaruf rog ban jaye toh
usko bhulna behtar
Taaluq bojh ban jaye toh
usko todna acchha
*****
55
खून अपना हो या पराया हो
नस्ले आदम का खून है आखिर
Khoon apna ho ya paraya
ho
Nasle aadam ka khoon hai
aakhir
*****
56
रूह को शाद करे दिल को पर-नूर करे
हर नज़ारे में यह तनवीर कहाँ होती हैं
(रूह = आत्मा; शाद = खुश करना; पर-नूर = नूर से भरना; तनवीर = रौशनी)
Rooh ko shaad karey dil
ko jo pur-noor kare
Har nazare mein yeh
tanveer kahan hoti hai
*****
57
बहुत दिनों से है ये मशग़ला सियासत का
के जब जवान हों बच्चे तो क़त्ल हो जाए
(मशग़ला = दिल बहलाव; सियासत = राजनीति)
Buhat dino’n se hai ye
mashgala siyasat ka
Ke jab jawan hon bachay
tou qatal ho jayen
*****
58
किस लुत्फ़ से झुंझला के वो कहते हैं शब-ए-वस्ल
ज़ालिम तेरी आँखों से गयी नींद किधर आज
(शब-ए-वस्ल = मिलन की रात)
Kis lutf se jhunjhla ke
wo kahte hain shab-e-vasl
Zaalim teri aankhon se
gayi neend kidhar aaj
*****
59
औरत ने जन्म दिया मर्दों को
मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
Aurat ne janam diya
mardon ko
Mardon ne usey bazar
diya
****
60
हमीं से रंगे-गुलिस्तां, हमीं से रंगे-बहार
हमीं को नज्मे-गुलिस्तां पर इख्तियार नहीं।
(रंगे-.गुलिस्तां = उद्यान या बाग की शोभा ; रंगे-बहार = हर तरफ फूलों की शोभा; नज्म = प्रबन्ध, इन्तिजाम)
Hamin se range-gulista,
hamin se range-bahaar
Hamin ko nazm-e-gulistan
par iktiyaar nahin
*****
61
हमने तो खुशी मांगी थी मगर जो तूने दिया अच्छा ही किया
जिस गम का तअल्लुक हो तुमसे वो रास नहीं और रास भी है
Hamne to khushi maangi
thi magar jo tune diya acchha hi kya
Jis gham ka talluk ho
tumse wo raas nahin aur raas bhi hai
*****
62
माना कि इस जमीं को न गुलजार कर सके
कुछ खार* कम तो कर गये, गुजरे जिधर से हम
(खार = कांटे)
Mnaa ki is jameen ko na
gulzaar kar sake
Kuchh khaar kam to kar
gaye, gujare jidhar se ham
*****
63
ज़ब्त-ए-सैलाब-ए-मुहब्बत को कहाँ तक रोके
दिल में जो बात हो आखों से बयाँ होती है
jabt-e-sailaab-e-muhabbat ko kahan tak roke
Dil mein jo baat ho aankhon se bayaan hoti hai
*****
64
अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
तिरा रिन्द गिरते गिरते कहीं फिर संभल न जाए
दिल में जो बात हो आखों से बयाँ होती है
jabt-e-sailaab-e-muhabbat ko kahan tak roke
Dil mein jo baat ho aankhon se bayaan hoti hai
*****
64
अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
तिरा रिन्द गिरते गिरते कहीं फिर संभल न जाए
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