Wednesday 28 October 2015

अदम गोंडवी - वेद में जिनका हवाला हाशिये पर भी नहीं

वेद में जिनका हवाला हाशिये पर भी नहीं

वेद में जिनका हवाला हाशिये पर भी नहीं
वे अभागे आस्‍था विश्‍वास लेकर क्‍या करें

लोकरंजन हो जहां शम्‍बूक-वध की आड़ में
उस व्‍यवस्‍था का घृणित इतिहास लेकर क्‍या करें

कितना प्रतिगामी रहा भोगे हुए क्षण का इतिहास
त्रासदी, कुंठा, घुटन, संत्रास लेकर क्‍या करें

बुद्धिजीवी के यहाँ सूखे का मतलब और है
ठूंठ में भी सेक्‍स का एहसास लेकर क्‍या करें

गर्म रोटी की महक पागल बना देती मुझे
पारलौकिक प्‍यार का मधुमास लेकर क्‍या करें


अदम गोंडवी 

अदम गोंडवी - भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है
अहले हिन्दुस्तान अब तलवार के साये में है

छा गई है जेहन की परतों पर मायूसी की धूप
आदमी गिरती हुई दीवार के साये में है

बेबसी का इक समंदर दूर तक फैला हुआ
और कश्ती कागजी पतवार के साये में है

हम फकीरों की पूछो मुतमईन वो भी नहीं
जो तुम्हारी गेसुए खमदार के साये में है


अदम गोंडवी 

अदम गोंडवी - टी. वी. से अख़बार तक ग़र सेक्स की बौछार हो

टी. वी. से अख़बार तक ग़र सेक्स की बौछार हो टी. वी. से अख़बार तक ग़र सेक्स की बौछार हो फिर बताओ कैसे अपनी सोच का विस्तार हो बह गए कितने सिकन्दर वक़्त के सैलाब में अक़्ल इस कच्चे घड़े से कैसे दरिया पार हो सभ्यता ने मौत से डर कर उठाए हैं क़दम ताज की कारीगरी या चीन की दीवार हो मेरी ख़ुद्दारी ने अपना सर झुकाया दो जगह वो कोई मज़लूम* हो या साहिबे-किरदार* हो एक सपना है जिसे साकार करना है तुम्हें झोपड़ी से राजपथ का रास्ता हमवार हो * मज़लूम = जिस पर ज़ुल्म किया गया हो, पीड़ित * साहिबे-किरदार = प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला/ अच्छे चरित्र वाला अदम गोंडवी

अदम गोंडवी - जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में

जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में 

जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में 
गाँव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में 

बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई 
रमसुधी की झोपड़ी सरपंच की चौपाल में

खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए 
हमको पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में

जिसकी क़ीमत कुछ हो इस भीड़ के माहौल में 
ऐसा सिक्का ढालिए मत जिस्म की टकसाल में

अदम गोंडवी