सारे जहां से अच्छा... के लेखक मोहम्मद इकबाल को अलामा (विद्वान) इकबाल के नाम से भी जाना जाता है। कुछ समीक्षक इन्हें गालिब के बाद उर्दू का सबसे बड़ा शायर मानते हैं। पेश हैं उनके कुछ शेर...
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सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा
Sare jahan se achcha
Hindustan humara
Hum bulbulen hai iski,
yah gulsita humara
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खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा* क्या है
*रजा - इच्छा, तमन्ना, ख्वाहिश
Khudi ko kar buland itna
ki har taqdir se pahle
Khuda bande se poonche
bata teri raza kya hai
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जफा* जो इश्क में होती है वह जफा ही नहीं,
सितम न हो तो मुहब्बत में कुछ मजा ही नहीं
* जफा - जुल्म
Jafa jo ishq mein hoti
hai wah zafa hi nahin
Sitam na ho to muhabbat
mein kuchh maza hi nahin
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ढूंढता रहता हूं ऐ 'इकबाल' अपने आप को,
आप ही गोया मुसाफिर, आप ही मंजिल हूं मैं।
Doondta rahta hoon ae
'Iqbal' apne aap ko
Aap hi goya musafir, aap
hi manjil hoon main
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दिल की बस्ती अजीब बस्ती है,
लूटने वाले को तरसती है।
Dil ki basti ajeeb hai
Lootne waale ko tarsati
hai
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मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा* चाहिए
कि दाना खाक में मिलकर, गुले-गुलजार होता है
*मर्तबा - इज्जत, पद
Mita de apni hasti ko gar
kuchh martba chaahiye
Ki daana khaak
meinmilkar, gule-gulzaar hota hai
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मुझे रोकेगा तू ऐ नाखुदा* क्या गर्क* होने से
कि जिसे डूबना हो, डूब जाते हैं सफीनों* में
* नाखुदा - मल्लाह, नाविक
* गर्क - डूबना
* सफीना - नौका
Mujhe rokega tu ae
nakhuda kya gark hone se
Ki jise doobna ho, doob
jaate hai safeenon mein
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हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर* पैदा
*दीदावर - पारखी
Hazaron saal nargis apni
benoori pe roti hai
Badi mushkil se hota hai
chaman mein deedawar paida
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खुदा के बन्दे तो हैं हजारों बनो में फिरते हैं मारे-मारे
मैं उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा
Khuda ke bande to hain
hazaron bano mein firte hai mare-mare
MAin uska banda banooga
jisko khuda ke bandon se pyaar hoga
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सितारों से आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं
Sitaaron se aage jahan
aur bhi hain
Abhi ishq ke imtihan aur
bhi hai
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सख्तियां करता हूं दिल पर गैर से गाफिल* हूं मैं
हाय क्या अच्छी कही जालिम हूं, जाहिल हूं मैं
* गाफिल - अनजान
Sakhtiyan karta hoon dil
par gair se gaafil hoon main
Haay kya achchi kahi
zaalim hoon, zaahil hoon main
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साकी की मुहब्बत में दिल साफ हुआ इतना
जब सर को झुकाता हूं शीशा नजर आता है
Saaqi ki muhabbat mein
dil saaf hua itna
Jab sar ko jhukaata hoon
sheesha nazar aata hai
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मुमकिन है कि तू जिसको समझता है बहारां
औरों की निगाहों में वो मौसम हो खिजां का
Mumkin hai ki tu jiskon
samjhta hai bhaaran
Auron ki nigaahon mein wo
mausam ho khijan ka
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तेरी दुआ से कज़ा* तो बदल नहीं सकती
मगर है इस से यह मुमकिन की तू बदल जाये
तेरी दुआ है की हो तेरी आरज़ू पूरी
मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाये
* कज़ा - भाग्य
very good kya bat hai
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